सूर्य नमस्कार क्या है? (What is Sun Salutation)?
सूर्य नमस्कार (Sun Salutation) एक पूर्ण व्यायाम माना जाता है,सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) सूर्य की ऊर्जा को संग्रहित करने वाला एक अभ्यास है।सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह जल्दी सूर्योदय के समय किया जाता है। सूर्य नमस्कार (Sun salutation) एक ऐसा योगासन है , जिसमे कि कई जटिल आसन शामिल हैं जिनके द्वारा हम अपने शरीर को स्वस्थ एवम लचीला बना सकते हैं।
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व्यायाम एवं योग क्रिया मे सूर्य नमस्कार (Sun salutation) के बारे में कहा जाता है की यह एक ऐसा योगासन है जिसके मात्र करने से ही आपके पूरे शरीर में सभी अंगों पर तनाव पड़ता है। और सभी अंग स्वस्थ एवम लचीले बने रहते हैं और आपका शरीर स्वस्थ रहता है।
सूर्य नमस्कार (Sun salutation) से क्या – क्या लाभ मिलते हैं? (What are the benifits of Surya Namaskar – Sun Salutation)?
शारीरिक लाभ:
सूर्य नमस्कार (Sun salutation) से हमारे शरीर को अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं यदि हम सूर्य नमस्कार का अभ्यास निरंतर रूप से करते हैं तो हम अपने शरीर को कई भयानक रोगों से बचा सकते हैं।
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) का अभ्यास करने से हमारे शरीर में वात , पित, कफ (ये तीन दोष हमारे शरीर में पाए जाते हैं) का संतुलन ठीक बना रहता है।और हमारे शरीर में पर्याप्त लचीलापन भी बना रहता है। जिन लोगो के शरीर में अकड़न आ जाती है वो इसका अभ्यास करके अपने शरीर को लचीला बना सकते हैं।
मानसिक लाभ:
सूर्य नमस्कार(Sun salutation) का निरंतर अभ्यास करने से आपको विशेष मानसिक लाभ प्राप्त होंगे जैसे आप में सदा प्रफुल्लता बनी रहेगी और किसी प्रकार का तनाव और चिंता नहीं रहेगी।
पाचन क्रिया में लाभ:
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) का निरंतर अभ्यास करने से पाचन से संबंधित समस्याएं जैसे गैस, कब्ज, पित्त का बढ़ना आदि इन सभी समस्याओं से छुटकारा प्राप्त हो जाएगा।
और हमारे शरीर में पाई जाने वाली सप्त धातुओं (रस, रक्त,मांस, मेद, अस्थि, मज्जा,शुक्र) का संतुलन भी ठीक बना रहता है जिससे की शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ रहता है।
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आइए जानते हैं कि सूर्य नमस्कार(Sun salutation) में कितने आसान हैं और कैसे किए जाते हैं?
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) में पूरे 12 आसन होते हैं।
1. प्रणामासन।
2. हस्तुत्तनासन।
3. पादहस्तासन।
4. अश्व संचालनासन।
5. पर्वतासन।
6. अस्टांग नमस्कारासन।
7. भुजंगासन।
8. पर्वतासन।
9. अश्व संचालनासन।
10. पादहस्तासन।
11. हस्तुत्तनासन।
12 प्रणामासन।
अब हम जानेंगे की Surya Namaskar – Sun Salutation के इन सभी 12 आसनों का अभ्यास कैसे करना है?
1. प्रणामासन:
प्रणामासन , सूर्य नमस्कार(Sun salutation) का पहला आसन होता है इसमें आपको अपने दोनो हाथों को प्रणाम की मुद्रा में लाकर अंगूठों को सीने से सटाकर खड़े होना है ध्यान रहे दोनों पैर भी आपस में मिले होने चाहिए और सामने की ओर देखना है, इस प्रकार आप प्रणामासन की स्थिति में आ जाते हैं।
2. हस्तुत्तनासन:
हस्तुत्तनासन , सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) का दूसरा आसन होता है इसमें आपको पहले आसान से अपने हाथों को ऊपर की ओर ले जाते हुए सांस को भरना है और जितना आप कमर से पीछे की ओर झुक सके उतना झुकना है, इस प्रकार आप की हस्तुत्तनासन स्थिति में आ जाते हैं।
3. पादहस्तासन:
पादहस्तासन, सूर्य नमस्कार(Sun salutation) का तीसरा आसन होता है इस आसन में आपको कमर से धीरे धीरे आगे की ओर झुकना है और सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपने हाथों से पैर के अंगूठों को स्पर्श करना है, इस प्रकार आप पादहस्तासन की स्थिति में आ जाते हैं।
4. अश्व संचालनासन:
अश्व संचालनासन, सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) का चौथा आसन होता है इस आसन आपको अपने बायें पैर को आगे रखना है और। दायें पैर को पीछे ले जाना है। ध्यान रहे की बायां पैर जमीन से घुटने तक सीधा ही रहना चाहिए और सामने की ओर देखना है, इस प्रकार आप अश्व संचालनासन की स्थिति में आ जाते हैं।
5. पर्वतासन:
पर्वतासन , सूर्य नमस्कार (Sun salutation) का पांचवा आसन है इस आसन में आपको केवल पंजों और तलवों को जमीन से सटाकर रखना है ध्यान रहे की आपकी एंडिया जमीन सटी हुई ही होनी चाहिए और अपने शरीर को कमर से ऊपर की ओर उठाना है।और पर्वत के जैसा आकार बनाना है,इस प्रकार आप पर्वतासन की स्थिति में आ जाते हैं।
6. अस्टांग नमस्कारासन:
अस्टांग नमस्कारासन, सूर्य नमस्कार(Sun salutation) का 6वां आसन है इस आसन में आपके शरीर के केवल आठ अंग ही जमीन से स्पर्श होते हैं, इसीलिए इसे अस्टांग नमस्कारासन कहा जाता है। इस आसन में आपको जमीन पर लेट कर अपने शरीर के आठ अंगों (दोनो पैरों के अंगूठे, दोनो हाथ, थोडी, छाती, दोनों घुटनें आदि) को जमीन से स्पर्श करना होता है,इस प्रकार आप अस्टांग नमस्कारासन की स्थिति में आ जाते हैं।
7. भुजंगासन:
भुजंगासन , सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) का 7वां आसन है भुजंगासन में आपको सांस को पूरी तरह भरते हुए अपने कमर के आगे के शरीर को जमीन से ऊपर की ओर उठाना है,अब आप भुजंगासन की स्थिति में आजाएंगे।
8. पर्वतासन:
सूर्य नमस्कार(Sun salutation) की 8वीं स्थिति में आपको पुनः पर्वतासन की स्थिति में आना रहता है और आपको की सावधानियों को ध्यान में रखते हुए ही वापस पर्वतासन की स्थिति में आना है।
9. अश्व संचालनासन:
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) की 9वीं स्थिति में आपको फिर से बायां पैर आगे लेकर आना है और आप पुनः अश्व संचालनासन की स्थिति में आ जाएंगे।
10. पादहस्तासन:
सूर्य नमस्कार(Sun salutation) की 10वीं स्थिति में आपको सांस को छोड़ते हुए पुनः पादहस्तासन की स्थिति में आना रहता है और अपने हाथों के अंगूठों को पैरों के अंगूठों से स्पर्श कराना चाहिए।
11. हस्तुत्तनासन:
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) की 11वीं स्थिति में आपको सांस को भरते हुए पुनः हस्तुत्तनासन की स्थिति में जाते हुए अपने शरीर को कमर से पीछे की ओर मोड़ना रहता है और आप हस्तुत्तनासन की स्थिति में पुनः आ जाते हैं।
12. प्रणामासन:
सूर्य नमस्कार(Sun salutation) की 12वीं स्थिति में आपको पुनः अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए दोनों अंगूठों को सीने से सटाकर प्रणामासन की स्थिति में आना रहता है 12वीं स्थिति के पूरे होते ही आप उसी स्थिति में आ जाते हैं जहां से आपने सूर्य नमस्कार(Sun salutation) की शुरुआत की थी।
इस प्रकार आप सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar – Sun Salutation) की सभी 12 स्थितियों का आसानी से अभ्यास कर सकते हैं
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इस प्रकार आप सूर्य नमस्कार (Sun salutation) की 12 स्थितियों का निरंतर अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक तनाव दूर हो जाते हैं और आप अपने शरीर को स्वस्थ एवम् मन को शांत रख सकते हैं।जिससे की आप अपनी जिंदगी में आसानी से आगे बढ़ते जाएंगे।